Saturday, June 2, 2012

यौवन क़ी ऊर्जा को बढाता है आयुर्वेद


आयुर्वेद एक सम्पूर्ण  विज्ञान एवं जीवन जीने क़ी कला का दूसरा नाम  है, जिसमें बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने हेतु रसायन औषधियों का सेवन बताया गया है ,ठीक इसी प्रकार यौवन को बरकार रखने हेतु वाजीकरण औषधियों का उल्लेख है. आचार्य चरक के अनुसार जिन औषधियों के सेवन से व्यक्ति अश्व  शक्ति एवं पौरुष सामर्थ्य को प्राप्त करता है,वैसी औषधियां वाजीकारक की श्रेणी में आती हैंI हाँ, यह भी एक सत्य है क़ि आचार्यों ने वाजीकरण औषधियों को लेने से पूर्व रसायन औषधियों को लेना उदधृत किया है. इसी सन्दर्भ में महर्षि च्यवन का नाम आता है, जिनके  शारीरिक रूप से क्षीण होने  और राजकुमारी से अपने वैवाहिक जीवन निर्वाह करने हेतु अश्वनी कुमारों द्वारा च्यवनप्राश नामक रसायन के  निर्माण जैसी कथा भी जुडी है. पौरुष सामाजिक ,वैवाहिक जीवन सहित संततिवृद्धि के लिए आवश्यक है. पौरुष्यहीन व्यक्ति की तुलना  आयुर्वेद के  आचार्यों ने सूखे पेड़ से की है ...अतः यौन आनंद एवं क्षमता जीवन की गाडी को सुचारू रूप से चलाने के लिए नितांत आवश्यक है..हाँ ब्रह्मचर्य का पालन भी सुखमय जीवन हेतु आवश्यक है.जिसे संततिनिरोध के साधन के रूप में अपनाया जा सकता है.
आइये आज हम आपको कुछ ऐसे सरल योग बतलाते हैं जिन्हें उत्तम वाजीकारक के रूप में लिया जा सकता है.
-उड़द को घी में भून लें और फिर दूध में पकाकर खीर बना लें.अब इस खीर में खांड मिलाकर ग्रहण करें और पौरुष्य  लाभ देखें.
-आंवले के चूर्ण को आंवले के रस में सात भावनाएं देकर (सात बार घोंटकर ) पांच ग्राम चूर्ण में शहद और शुद्ध घी मिलाकर सेवन कराने से कामेक्षा में बढ़ोत्तरी पायी जाती है.
-शतावरी की ताज़ी जड़ को यवकूट कर दस से बीस ग्राम की मात्रा में लेकर 150 मिली दूध में  पकायें ...इसमें लगभग 250 मिली पानी भी मिला दें ..जब उबालते-उबालते पानी समाप्त हो जाय और केवल दूध शेष रहे तो इसे छान कर खांड मिला कर सुबह शाम लेने से मैथुन सामर्थ्य में वृद्धि होती है.
-विदारीकन्द का चूर्ण 2.5 ग्राम को गूलर के 15 मिली रस में मिलाकर सुबह शाम दूध से लेने पर दीर्घ आयु पुरुष भी मैथुन में  सक्षम हो जाते हैं.
-केवांच के बीज ,खजूर,सिंघाड़ा,द्राक्षा और उड़द इन सब को बीस-बीस ग्राम की मात्रा में लेकर 250 मिली पानी में मिलाकर आग पर पकायें ...जब पानी समाप्त हो जाय तो इसमें खांड,वंशलोचन,शुद्ध घी एवं मधु मिलाकर सेवन करने से शुक्र के निर्बलता एवं क्षीणता में लाभ मिलता है. 
-शतावरी से सिद्धित घृत को 2.5 से 5 ग्राम की मात्रा में खांड एवं शहद के साथ लेना भी पौरुष शक्ति को बढाता है 
-मुलेठी चूर्ण 1.5 ग्राम को शुद्ध घी और मधु के साथ सेवन करने से भी कामेक्षा बढ़ती है.
-गोखरू बीज ,तालमखाना बीज,शतावरी,कौंच बीज ,नागबला की जड़ ,अतिबला की  जड़ इन सब को यवकूट कर चूर्ण बनाकर  2.5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सुबह शाम लेने से पौरुष शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है.
-शतावरी घृत में 2.5 से 5 ग्राम की मात्रा में पिप्पली चूर्ण 1.5ग्राम मिलाकर खांड और शहद के साथ लेना भी पौरुष बल देता है.
-शतावरी,गोखरू ,वरादीकंद,शुद्ध भल्लातक,गिलोय ,चित्रक ,त्रिकटु ,तिल ,विदारीकन्द और मिश्री मिलाकर बनाया गया चूर्ण जिसे नरसिंह चूर्ण के नाम से जाना जाता है एक उत्तम वाजीकारक औषधि है.
-मकरध्वज रस 250 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह शाम अदरख स्वरस एवं शहद  के साथ लेना शरीर में स्फूर्ति  एवं उत्साह को बढाता है तथा शुक्र सम्बन्धी दोषों को दूर करता है.
ये तो चंद योग हैं जिससे पौरुष्य एवं शारीरिक यौन ऊर्जा को बढाया जा सकता है ...आयुर्वेद में ऐसी अनेक औषधियां मौजूद हैं जिनसे यौवन को बरकार रखा जा सकता है ..बस आवश्यकता है इन औषधियों का सेवन चिकित्सक के परामर्श से हो तो बेहतर है.